Sunday 1 March 2015

माँ तुम याद बहुत आती हो

वक़्त की कडी धूप में साए सी मिल जाती हो
ऊदासियो में कभी ख़ुशी बन के खिल जाती हो
हर उलझन का हल तुमसे ही पाया हरपल
बन दुआ रहती हो संग मेरे तुम पलपल
जब भी चाहूँ सितारों में नज़र आती हो
माँ कैसे बताऊँ तुम याद बहुत आती हो
कोई अजीब सी जिद तू ही बता किससे करूँ
थका हो मन तो सर मैं अब किस गोद धरुं
फिर तेरी साड़ियों की नर्मी में तुम्हे छू लूँ मैंं
वक़्त दे मोहलत तो कुछ और साथ जी लूँ मै
बुरे वक़्त में बन के साया सा छा जाती हो
माँ कैसे बताऊ तुम्हे तुम याद बहुत आती हो।ं
ू ------प्रियंका

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