Sunday 1 March 2015

माँ गुज़र गयी

माँ गुज़र गयी
सब सुनती रही
समझती रही
हंसती रही
लगाती रही अंगूठा 
सादे कागज़ पे
फिर भी
देती रही मन भर आशीष
छोड़ गयी विरासत
कुछ पुराने बरतन
सहेज कर रखे
कुछ पुराने सिक्के
डाक्टर की दवाई और पर्चे
दिन का सूनापन
रातो का डर
और
विरासत की खोज में
चमकती आँखों में
कुछ पश्चाताप के आंसू
------प्रियंका गुज़र गयी
सब सुनती रही
समझती रही
हंसती रही
लगाती रही अंगूठा 
सादे कागज़ पे
फिर भी
देती रही मन भर आशीष
छोड़ गयी विरासत
कुछ पुराने बरतन
सहेज कर रखे
कुछ पुराने सिक्के
डाक्टर की दवाई और पर्चे
दिन का सूनापन
रातो का डर
और
विरासत की खोज में
चमकती आँखों में
कुछ पश्चाताप के आंसू
------प्रियंका

1 comment:

  1. वाह...माँ और उसकी यादें ...कौन भूला हैं भला ..और कैसे ...

    ReplyDelete