Sunday 1 March 2015

विदा तुम्हें हे विगत वर्ष

विगत वर्ष सहेज चला
दुःख बेचैनी सारी उलझन
अंजुरी भर नव उल्लास दिए
सुख की पुलकन मन की छलकन
है ज्ञात किसे वो गया कहाँ
चलता जाता या है ठहरा
है नियति यही है लेख यही
इक बंजारा यायावर जो ठहरा
स्मृतियाँ कितनी ही मधुरिम
जाने कितने पल छिन स्वर्णिम
जीवन पृष्ठों पर अंकित कर
कुछ अश्रुबिंदु कुछ स्मित मर्मर
आगत के स्वागत में तत्पर
स्मरण रहोगे तुम सत्वर
जीवन सुखमय हो बढे हर्ष
है विदा तुम्हें हे विगत वर्ष
----प्रियंका

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