Sunday 1 March 2015

साथ चल ना पाओ तो बस इक पैगाम दे देना
हमारे तनहा जीने का कोई सामान दे देना
वफाये रास ना आये नहीं मायूस तुम होना
कोई बस एक अच्छा सा मुझे इलज़ाम दे देना
तिजारत करती है दुनिया नहीं हर चीज़ बिकती है
मेरे सारे अश्कों का हो सके तुम दाम दे देना
गयी है साथ ही तेरे हंसी भी मेरे होंठो की
कभी जो गर मिले तुमको मेरा पैगाम दे देना
बहुत छोटी सी खुशियाँ हैं नहीं है आरज़ू ज्यादा
कभी जो सिर्फ मेरी थी वही बस शाम दे देना
बहुत है सादा दिल मेरा नहीं है जानता धोखे
लम्हे साथ जो गुज़रे मुहब्बत नाम दे देना
कभी जो लौट पाओ तो गुज़ारिश है चले आना
वफाओं का मेरी हमदम बस अंजाम दे देना
-----प्रियंका.

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