Saturday 28 June 2014

मृत्युंजय भगवान शिव के चरणों में अर्पित
पञ्च चामर छंद
रगड़+जगड+रगड़+जगड+रगड़+ गुरु
अर्थात-
12 12 12 12 12 12 12 12
fathers day पर अपने शिव भक्त पापा के लिए

महाकराल कंठ नाग रौद्ररूप को धरे
पिनाक धारि के सदा अकाल काल को हरे
सदा रहे शिवोन्मुखी न पाप ताप सों जरे
प्रभो बिसारि मोह मान दीन वंदना करे

प्रचंड वेग गंग की जटा गुथी रहे रजे
गले सुहाय मुंडमाल भाल चंद्रमा सजे
कराल कालरुद्र रूप मान देवता भजे
अपार रूपराशि देख लाख चंद्रमा लजे

त्रिनेत्र क्रोध ताप बीच कामदेव भी जरा
धराधरेन्द्र नंदिनी बनी प्रिया उन्हें वरा
हुआ परास्त काल तो प्रचंड दैत्य भी डरा
विमोह मान त्याग के सती पिता तभी तरा

भजूं शिवा शिवो प्रभो अपार बंध को हरो
विराग द्वेष मेटि के सप्रेम भाव को भरो
बिसारि पाप मोर दास मान दोष ना धरो
कहां बुलाय के जपूं हिया सदा बसा करो
-------प्रियंका
 — with Vinod Tripathi.

Tuesday 3 June 2014

दौर

जैसे आये थे चुपचाप किसी मोड़ पर मुड़ जायेंगे
बुरे दौर हैं आये थे कुछ ठहरेंगे फिर गुज़र जायेंगे

गुज़रते रहना ही तो फितरत है वक्ते दरिया की
आज बिगड़े हैं पल ख़ुद ही कल सवंर जायेंगे

बंधे हों जंजीरों में तो कैसे वो अपने सच्चे रिश्ते
ग़र अपने हुए तो बताओ भला और किधर जायेंगे

लेके आयी है कुछ किरणें झिलमिल रौशनी संग में
बहुत मुमकिन है उजाले कुछ देर और ठहर जायेंगे

बहुत उम्मीद से आये है आज कुछ मांगने दर पर तेरे
होकेर मायूस बता दे अब किस और शहर जायेंगे
-----प्रियंका