Thursday 24 April 2014

घन मेघ सांवरे

घन मेघ सांवरे उड कर तुम
बाबा की नगरी भी जाना
संग अपने तुम थोडा सा
इन आंखों का पानी भी ले जाना

पापा से कहना स्वस्थ रहें
भइया का मार्ग सदा प्रशस्त रहे
भाभी का सौभाग्य अक्षत रहे
मुन्ने को आशीर्वचन तुम दे आना

मत कहना उनसे दर्द कोई
 कहना मै तो रानी सी हुई
बस मेरी सारी खुशियों की
अच्छे से खबर तुम दे आना

बागों के उन झूलों की
बचपन के खेल खिलौनों की
उन बिछडी सारी सखियों की
खोज खबर तुम ले आना

माटी की सोंधी खुशबू लाना
मां पापा का सारा प्यार दुलार
कुछ बचपन की यादें लाना
आते आते फिर एक बार
भइया की कलाई भी छूकर आना

घन मेघ सांवरे उड कर तुम
बाबा की नगरी भी जाना
संग अपने तुम थोडा सा
इन आंखों का पानी भी ले जाना..........प्रियंका


Tuesday 22 April 2014

जागत- जागत ताकत-ताकत हेरत दीठि रही पथराई
सोच रहा मन पागल कातर होकर नाहक प्रीत लगाई
 जागत सोवन व्याकुल है तुम देख सको नहि पीर पराई
 आस धरे मन ताकत है पथ सोच रहा तेरी निठुराई

 पावक मोहक फूल खिले बगिया चहकी महकी अमराई
 गावत नाच रहीं सखियाँ मनमोहन मोहि बड़ी सुधि आई
 मोहक तान सुनी मुरली धुन की मन की कलिका हरषाई
 छेड़ रही सखियाँ सगरी मनमोहन प्राण सखी इतराई

जानत हो तुम केशव प्राण रहे तुमरे बिन ही अकुलाई
 साथ रहो तुम चाहत हूं बस मोहिं नहीं कछु देत सुझाई
 सांस बसे तुम प्रेमहिं बंधन काट सको मिल जाय रिहाई
 जाय सको मन मानस से तब मैं समझूं तुमरी प्रभुताई
                                                  -------- प्रियंका

Friday 18 April 2014

मम्मा जगमग तारों की दुनिया में तुम कैसे मेरे बिन रहती होगी

मम्मा जगमग तारों की दुनिया में
तुम कैसे मेरे बिन रहती होगी
क्या याद मुझे तुम भी
हरपल एसे ही करती होगी

मम्मा सुबह सवेरे उठ जाता हूं
पर पास नहीं तुमको पाता हूं
आंखें मूंदे लेटा रहता हूं
तुमको ही सोचा करता हूं
पास अभी तुम आओगी
प्यार से मुझे जगाओगी

चुप से दूध भी पी लेता हूं
तंग जरा भी करता हूं
होमवर्क भी बाकी रहता
और खेलने को भी लडता
मम्मा जब तुम वापस आओगी
मुझको अच्छा बच्चा पाओगी

हां मम्मा चुपके से सुनना
और किसी से भी कहना
भूख नहीं बिलकुल भी होती
कौन खिलाए दौड के रोटी
पापा तो आफिस जाते हैं
हां अब जल्दी घर तो जाते हैं
दादी थोडा सा ही चलती हैं
पर अक्सर घुटने अपने मलती हैं

पापा से लोरी सुन लेता हूं
सोने का बस नाटक करता हूं
तुम जब मुझे सुलाती थीं ना
चूडी छन छन बजती थी ना
मम्मा सबकी जब मम्मी आती हैं
तेरी याद बहुत आती है

भगवान कभी जब मिलेंगे तुमसे
सब कह देना तब तुम उनसे
मेरी टॉफी और खिलौने ले लें
गुलल्क के सब सिक्के ले लें
भोग से पहले लड्डू मागूंगा
उनकी मिठाई भी देखूंगा

बहुत लडूंगा इक रोज मैं उनसे
क्यूं वो मेरी सुनते नहीं
क्यूं तुमको वो लेकर गए
क्या उनकी अपनी मम्मी नहीं

          --------प्रियंका