नारी मन ---
कर्तव्यों और सम्बन्धों का निर्वहन करते
जीवन पर्यंत झंझावातों का सामना करते
और प्रतिदिन अनगिनत हिसाब किताब करते हुए
उन पलों का सही सही आकलन कहां कर पाता है
जो उसने स्वयं के लिए जिए.........
अंतर्मन के कोमल नन्हें पंखों से
अनन्त आकाश की ऊंचाइयां नापने का एक प्रयास....
Wednesday 26 March 2014
tum
मैंने तुमको फूलों
में खोजा तुम कहीं हवाओं में महके
पूरी दुनिया में खोजा जाकर तुम बंद आँखों
में थे रहते
बहुत खूब
ReplyDeleteएक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: ''कोई न सुनता,'अभी' जो बे-सहारे हैं''
सुन्दर
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