Friday 7 March 2014

इक गीत बने

व्यथा भरी जो मन में मेरे
उसको तेरा मन भी सुनता
आह्लादित हो यदि हृदय मेरा
आनन्द तुझे उससे मिलता
आंखों से टपके जब कुछ मोती
दुख भरा गीत कोई बनता
मिल अनन्त रागिनी हृदयो की
सुख सपनों का सारा संसार
प्राणो की वंशी में सजता
सुर समान ये तेरा प्यार
घन उमडें मन में भावों के घने
तब कोई प्यारा गीत बने
कहते हो कवि हमको तुम
मौन भला किसने जाना
शब्दों के गुन्थन से ही तुमने
जीवन के लय को है जाना
जानूं मैं केवल बस इतना
जब आहत मन अपनी पीर सुने
व्यथा उमड पन्नों पर आए
और तब कोई इक गीत बने
              ------प्रियंका


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